गुरु की स्तुति करने के लिए बोले जाने वाला यह मंत्र शंकराचार्य जी के द्वारा रचित है और यह श्लोक गुरु स्त्रोतम का एक भाग है।
अखंड मंडला कारम
व्याप्तं येन चराचरम् |
तत्पदम् दर्शितं येन
तस्मै श्री गुरवे नमः |
Akhand Mandalaakaaram
Vyaaptam Yen Charaacharam
Tatpadam Darshitam Yena
Tasmai Shri Gurave Namaha
Meaning word by word -
अखंड - जिसे विभाजित न किया जा सके , मंडल - गोल, संपूर्ण , आकारं...
गुरु की स्तुति करने के लिए बोले जाने वाला यह मंत्र शंकराचार्य जी के द्वारा रचित है और यह श्लोक गुरु स्त्रोतम का एक भाग है।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः
गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात परं ब्रह्म
तस्मै श्रीगुरुवे नमः।
GururBrahma GururVishnu
GururDevo Maheshwaraha
Guru Saakshaat ParaBrahma
Tasmai Shri Gurave Namaha
Meaning word by word -
गुरु - विवेक देने वाला (क्या सही है, क्या गलत है...
Yada yada hi dharmasya is a very popular, ancient Sanskrit sloka found in Mahabharata. It is recited by Lord Krishna to Arjuna.
भगवान् कृष्ण ने बोला था ये मंत्र -
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम ||
yadā yadā hi dharmasya glānirbhavati bhārata.
abhyutthānamadharmasya tadā৷৷tmānaṅ sṛjāmyaham.
Meaning word by word -
यदा - जब, धर्मस्य - धर्म, ग्लान...
शिव जी और पार्वती जी की स्तुति करने के लिए बोले जाने वाला मंत्र |
मंदार माला कलितालकायै
कपालमालंगित शेखराय|
दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय
नमः शिवायै च नमः शिवाय !
Mandar Mala KalitalKaye
Kapalmalankit Shekharaye
Divyambaray cha Digambaraya
Namah Shivay cha Namah Shivaay
Meaning word by word -
मंदार माला - अर्क की माला , कलितालकायै - सुन्दर काया
कपालमालंगित - कपाल मालाधारी, शेखराय - शिव भगवान्...
Karpur Gauram Karunavtaaram is a very popular, ancient Sanskrit sloka recited to pay respect to Lord Shiva. It is found in Yajurveda.
शिव जी की स्तुति करने के लिए बोले जाने वाला मंत्र |
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि ।।
Karpur Gauram Karunavataram |
Sansara Saram Bhujagendra Haram ||
Sada Vasantam Hridayaravinde |
Bhavam Bhavani ...
तब याद तुम्हारी आती है
- रामनरेश त्रिपाठी (Ramnaresh Tripathi)
जब बहुत सुबह चिड़ियाँ उठकर
कुछ गीत ख़ुशी के गाती हैं,
कलियाँ दरवाजे खोल-खोल
जब दुनिया पर मुस्काती हैं,
खुशबू की लहरें जब घर से
बाहर आ दौड़ लगाती हैं ,
हे जग के सिरजनहार प्रभो!
तब याद तुम्हारी आती हैं।
सत्कर्तव्य
- रामनरेश त्रिपाठी (Ramnaresh Tripathi)
जग में सचर-अचर जितने हैं, सारे कर्म निरत हैं।
धुन है एक-न-एक सभी को, सबके निश्चित व्रत हैं।
जीवनभर आतप सह वसुधा पर छाया करता है।
तुच्छ पत्र की भी स्वकर्म में कैसी तत्परता है।।
अरमान
- रामनरेश त्रिपाठी (Ramnaresh Tripathi)
है शौक यही अरमान यही,
हम कुछ करके दिखलायेंगे
मरने वाली दुनिया में हम,
अमरों में नाम लिखायेंगे |
जो लोग गरीब भिखारी हैं,
जिन पर न किसी की छाया है
हम उनको गले लगायेंगे
हम उनको सुखी बनायेंगे|
मैं घास हूँ
- Avtar Singh Sandhu 'Paash' (अवतार सिंह संधू पाश)
मैं घास हूँ
मैं आपके हर किए-धरे पर उग आऊँगा
बम फेंक दो चाहे विश्वविद्यालय पर
बना दो होस्टल को मलबे का ढेर
सुहागा फिरा दो भले ही हमारी झोपड़ियों पर
मेरा क्या करोगे
मैं तो घास हूँ हर चीज़ पर उग आऊँगा
बंगे को ढेर कर दो
संगरूर मिटा डालो
धूल में मिला दो लुधियाना ज़िला
मेरी हरियाली अपना काम करेगी...
दो साल... दस साल बाद
सवारियाँ फिर ...
तुम्हे ढोना हे समय का भार
- प्रेमजी प्रेम (Premji Prem)
तुम्हे ढोना है समय का भार, थोड़ी सी चाल तेज करो
थोड़ी और तेज, और तेज यार, थोड़ी सी चाल तेज करो |
हाथ जो मिला था इन्कलाब के लिये, कुर्सी के लिए कैसे सलाम हो गया
संतों ने उपदेश सारे देश को दिया, कैसे एक जात का पैगाम हो गया
जो भी आया देश को बचाने के लिए, धर्म के दलालों का गुलाम हो गया
हम तो हिंदू, मुस्लिम और सिक्ख हो गए, पर नानक का नाम बदना...