Tab Yaad Tumhari Aati Hai
तब याद तुम्हारी आती है
- रामनरेश त्रिपाठी (Ramnaresh Tripathi)
जब बहुत सुबह चिड़ियाँ उठकर
कुछ गीत ख़ुशी के गाती हैं,
कलियाँ दरवाजे खोल-खोल
जब दुनिया पर मुस्काती हैं,
खुशबू की लहरें जब घर से
बाहर आ दौड़ लगाती हैं ,
हे जग के सिरजनहार प्रभो!
तब याद तुम्हारी आती हैं।
जब छम-छम बूंदे गिरती हैं
बिजली चम-चम कर जाती हैं,
मैदानों में, वन-बागों में
जब हरियाली लहराती हैं,
जब ठंडी-ठंडी हवा कही से
मस्ती ढोकर लाती हैं,
हे जग के सिरजनहार प्रभो!
तब याद तुम्हारी आती हैं।
चुपचाप चमकते तारों की,
महफिल जब रात सजाती है
जब चांद शान से उगता है
औ दिशा-दिशा धुल जाती है
जब ओस रूप में हरी घास,
चमकीले मोती पाती है
हे जग के सिरजनहार प्रभो!
तब याद तुम्हारी आती है।
झरने जब झर- झर झरते हैं,
नदियां मस्ती में बहती हैं
जब देश - देश की बातें
सागर से जाकर कहती हैं
जब उतर चांदनी ऊपर से
सागर में ज्वार उठाती है
हे जग के सिरजनहार प्रभो !
तब याद तुम्हारी आती है ।