Tumhe Dohna Hai Samay Ka Bhar by Premji Prem

तुम्हे ढोना हे समय का भार
- प्रेमजी प्रेम (Premji Prem)

तुम्हे ढोना है समय का भार, थोड़ी सी चाल तेज करो
थोड़ी और तेज, और तेज यार, थोड़ी सी चाल तेज करो |

हाथ जो मिला था इन्कलाब के लिये, कुर्सी के लिए कैसे सलाम हो गया
संतों ने उपदेश सारे देश को दिया, कैसे एक जात का पैगाम हो गया
जो भी आया देश को बचाने के लिए, धर्म के दलालों का गुलाम हो गया
हम तो हिंदू, मुस्लिम और सिक्ख हो गए, पर नानक का नाम बदनाम हो गया
बोलो कौन है इन सब का जिम्मेदार, थोड़ी सी चाल तेज करो |

तुम्हे ढोना है समय का भार, थोड़ी सी चाल तेज करो |

अपनी ही उड़ान को संभाल लो जरा, दूसरों की चाल पे तनकीद न करो
जिससे बैर फैलता है भाई-भाई में, ऐसी होली दिवाली या ईद ना करो
आग जो लगाते है हमारे गाँव में, उनसे देशभक्ति की उम्मीद ना करो
इन गलियारों के फालतू बबूलों के लिये, क्यारी के गुलाबों को शहीद ना करो
तुम्हे रहना होगा थोड़ा होशियार, थोड़ी सी चाल तेज करो

तुम्हे ढोना है समय का भार, थोड़ी सी चाल तेज करो |

आदमी को आदमी बनाने के लिए, फिर वही कहानी दोहरानी चाहिए
टूटने से देश को बचाने के लिये, सीधी सच्ची बात है जवानी चाहिए
चूड़ावत को रोष दिलाने के लिए, शीश देने वाली हाड़ी रानी चाहिए
हड्डियों के ढाचों को गलाने के लिए, अब गंगा नहीं चुल्लू भर पानी चाहिए
ऐसा कैसे होगा मेरे सरदार, थोड़ी सी चाल तेज करो

तुम्हे ढोना है समय का भार, थोड़ी सी चाल तेज करो |

मांगने से रोशनी मिलेगी ना कभी, रोशनी के वास्ते मशाल लाइए
जिंदगी को जिंदगी बनाने के लिए, जिन्दा दिल इरादों में उछाल लाइए
मुर्दा है व्यवस्था तो बदल दीजिए, धीरे-धीरे खून में उबाल लाइए
सूरज तिजोरियों में बंद है अगर, तो तोड़िये तिजोरियां निकाल लाइए

चेतो चेतो रे मेरे यार , थोड़ी सी चाल तेज करो
तुम्हे ढोना है समय का भार, थोड़ी सी चाल तेज करो
थोड़ी और तेज, और तेज यार, थोड़ी सी चाल तेज करो |

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